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भारत की अनोखी रणनीति: ओमान से जगुआर जेट लाकर पुराने लड़ाकू विमानों को मिलेगी नई ज़िंदगी

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नई दिल्ली:भारतीय वायुसेना ने अपने पुराने लेकिन अब भी बेहद अहम जगुआर फाइटर जेट्स को लंबे समय तक सेवा में बनाए रखने के लिए एक खास रणनीति अपनाई है। इसके तहत भारत खाड़ी देश ओमान से रिटायर हो चुके जगुआर लड़ाकू विमानों को हासिल करने जा रहा है।हालांकि ये विमान सीधे तौर पर भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल नहीं किए जाएंगे। इनका उपयोग स्पेयर पार्ट्स के तौर पर किया जाएगा, ताकि भारत में पहले से मौजूद जगुआर विमानों को उड़ान के योग्य बनाए रखा जा सके।
क्यों जरूरी पड़े ओमान के जगुआर?
भारतीय वायुसेना के पास मौजूद कई जगुआर जेट करीब 45 साल पुराने हो चुके हैं। समय के साथ इनके पुर्जे मिलना मुश्किल होता जा रहा है, क्योंकि ब्रिटेन और फ्रांस में इनका उत्पादन सालों पहले बंद हो चुका है। ऐसे में ओमान के रिटायर विमानों से मिलने वाले कलपुर्जे भारत के लिए बड़ी राहत साबित होंगे।इन विमानों को ओमान में ही तोड़कर उनके उपयोगी हिस्से अलग किए जाएंगे और फिर भारत भेजा जाएगा।पहले भी फ्रांस से मिली थी मदद
यह पहली बार नहीं है जब भारत ने इस तरह का रास्ता अपनाया हो। वर्ष 2018-19 में भारत ने फ्रांस से सहयोग मांगा था। फ्रांस ने अपने सेवामुक्त किए जा चुके जगुआर विमानों के 31 एयरफ्रेम और कई जरूरी पुर्जे भारत को सौंपे थे। इसके बदले भारत ने केवल परिवहन खर्च वहन किया था।
 DARIN अपग्रेड से आज भी घातक हैं जगुआर
जगुआर विमानों को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए भारतीय वायुसेना ने समय-समय पर इन्हें आधुनिक तकनीक से लैस किया है।
DARIN (डिस्प्ले अटैक रेंजिंग एंड इनर्शियल नेविगेशन) अपग्रेड कार्यक्रम के तीन चरणों में:
आधुनिक नेविगेशन सिस्टम
मल्टीफंक्शन डिस्प्ले
लेजर गाइडेड हथियार
उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम
जैसी क्षमताएं जोड़ी गईं।
कारगिल युद्ध के दौरान इन्हीं अपग्रेड्स के कारण जगुआर विमानों ने सटीक हमलों में अहम भूमिका निभाई थी।
 अभी भी सेवा में हैं 6 स्क्वाड्रन
फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास जगुआर के 6 स्क्वाड्रन सक्रिय हैं। हालांकि दुर्घटनाओं और उम्र के कारण विमानों की संख्या लगातार घट रही है। ऐसे में ओमान से मिलने वाले पुर्जे इन स्क्वाड्रनों की परिचालन क्षमता बनाए रखने में मदद करेंगे।
 नई तकनीक आने तक पुरानों का सहारा
जब तक भारतीय वायुसेना को पूरी तरह नए लड़ाकू विमान पर्याप्त संख्या में नहीं मिल जाते, तब तक जगुआर जैसे भरोसेमंद प्लेटफॉर्म को बनाए रखना रणनीतिक रूप से बेहद जरूरी है। ओमान से रिटायर जेट्स मंगाने का फैसला इसी सोच का हिस्सा है।

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