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विधायकों की दोहरी आय पर सरकार की सफाई: आठ में सिर्फ एक को मिल रही पेंशन, बाकी की पहले ही हो चुकी है बंद

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पटना। विधायकों और विधान पार्षदों द्वारा एक साथ वेतन और पेंशन लेने को लेकर उठे विवाद पर अब राज्य सरकार ने स्थिति साफ कर दी है। पटना सचिवालय कोषागार की ओर से जारी स्पष्टीकरण में कहा गया है कि जिन आठ जनप्रतिनिधियों को लेकर सवाल खड़े हुए थे, उनमें से फिलहाल केवल एक—भोला यादव—को ही पेंशन का भुगतान हो रहा है, जबकि शेष सात की पेंशन पहले ही बंद की जा चुकी है।
दरअसल, सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी के आधार पर यह मामला सामने आया था। इसमें पेंशन शुरू होने की तिथियों का उल्लेख था, जिसे लेकर यह भ्रम फैल गया कि संबंधित विधायक और विधान पार्षद अब भी वेतन के साथ-साथ पेंशन ले रहे हैं। विवाद गहराने के बाद कोषागार विभाग ने पत्र जारी कर वास्तविक स्थिति स्पष्ट की।
वरीय कोषागार पदाधिकारी ने बताया कि RTI कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय द्वारा पेंशन की शुरुआत से जुड़ी जानकारी मांगी गई थी, जिसे नियमों के तहत उपलब्ध कराया गया। लेकिन इस जानकारी को मीडिया में अलग तरीके से प्रस्तुत किए जाने से गलतफहमी पैदा हो गई।
सरकारी स्पष्टीकरण के मुताबिक, भोला यादव को नवंबर 2020 से पेंशन मिल रही है, जो नवंबर 2025 तक जारी है। उनकी मासिक पेंशन 65 हजार रुपये है। वहीं उपेंद्र कुशवाहा को मार्च 2005 से अक्टूबर 2021 तक पेंशन मिली थी, जिसे बाद में बंद कर दिया गया।
अन्य नेताओं की बात करें तो—दिनेश चंद्र ठाकुर, ललन कुमार सर्राफ, संजय सिंह, सतीश चंद्र दुबे, नीतीश मिश्रा और विजेंद्र प्रसाद यादव—इन सभी को पेंशन सीमित अवधि के लिए ही मिली थी और वर्तमान में किसी को भी पेंशन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। खास तौर पर नीतीश मिश्रा को केवल दो महीने के लिए ही पेंशन मिली थी।
कोषागार विभाग ने दो टूक कहा है कि मौजूदा समय में वेतन और पेंशन एक साथ लेने का आरोप तथ्यहीन है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि नियमों के विरुद्ध किसी भी जनप्रतिनिधि को दोहरा लाभ नहीं दिया जा रहा है।

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