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समस्तीपुर में युवाओं की बर्बादी: नशा, जुआ और अवैध शराब का जाल, प्रशासन मौन

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Amardeep Narayan

समस्तीपुर: जिले में युवाओं का भविष्य गंभीर संकट में है। समस्तीपुर के विभिन्न क्षेत्रों में युवा लगातार नशे के जाल में फंसकर अपने जीवन और करियर को खतरे में डाल रहे हैं। शराब, गांजा, भांग, हेरोइन और अन्य अवैध मादक पदार्थों की खुलेआम बिक्री ने युवा पीढ़ी को प्रभावित कर रखा है। इस असर से न केवल उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि पढ़ाई, खेलकूद और सामाजिक जीवन भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
जानकारी के अनुसार, जिले के बस स्टैंड, चाय और पान की दुकानों तथा किराए के मकानों में नशे के समान की आसानी से बिक्री हो रही है। स्थानीय युवा घंटों जुआ खेलते देखे जा रहे हैं, जिसमें लाखों रुपये का लेन-देन होता है। किशोर भी इस जाल में फंसकर नशे और जुए का हिस्सा बन रहे हैं।
स्थिति इतनी गंभीर है कि शराब के होम डिलीवरी, अवैध नशा और जुए के अड्डे सार्वजनिक रूप से सक्रिय हैं। लेकिन प्रशासन इन गतिविधियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है। इस निष्क्रियता के कारण समाज में अपराध और हिंसा का खतरा बढ़ रहा है।
समस्तीपुर हसनपुर विधानसभा क्षेत्र के वरिष्ठ राजद नेता रामनारायण मंडल उर्फ बच्ची मंडल ने बताया कि युवा वर्ग समय से पहले असामायिक मौतों के शिकार हो रहा है। उन्होंने युवाओं से अपील की है कि वे अपने दिनचर्या में सुधार लाएं, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनें और समाज के सुधारक के रूप में अपने जीवन का संदेश फैलाएं।
अवैध कारोबार का विस्तृत जाल
बच्ची मंडल ने बताया कि जिले में असामाजिक तत्व नशे और जुए का बड़ा रैकेट चला रहे हैं। सरकारी संस्थानों, मंदिर-मस्जिदों के आसपास भी अवैध शराब का कारोबार जोर-शोर से चल रहा है। नशे के प्रभाव में युवा न केवल अपनी सेहत और पढ़ाई गंवा रहे हैं, बल्कि हथियार के बल पर राहगीरों के साथ लूटपाट और अन्य अपराधों में भी शामिल हो रहे हैं। पिछले दिनों ही खानपुर थाना क्षेत्र में अवैध शराब तस्करों ने एक युवक की हत्या कर दी, जो इस समस्या की गहनता को दर्शाता है।
शराबबंदी के प्रयास और असफलता
बच्ची मंडल ने बिहार में शराबबंदी को लेकर कहा कि राज्य सरकार कई जागरूकता अभियान चला रही है, लेकिन इसके बावजूद युवा वर्ग शराब, ड्रग्स, भांग और चरस के जाल में तेजी से फंस रहा है। इसके विपरीत, अवैध शराब कारोबारियों और माफियाओं को प्रशासन का संरक्षण प्राप्त है। नशामुक्ति अभियान में पुलिस द्वारा गरीब मजदूरों को पकड़ा जाता है, जबकि अमीरों की गलती पर लेन-देन से मामला शांत हो जाता है।
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता इस सामाजिक अभिशाप को बढ़ावा दे रही है। यदि प्रशासन ईमानदारी से नशामुक्ति अभियान को लागू करे और अवैध शराब तथा नशा तस्करों पर सख्त कार्रवाई करे, तो निश्चित रूप से युवा वर्ग को सुरक्षित किया जा सकता है और समाज में सुधार लाया जा सकता है।
सामाजिक चेतना और आम नागरिकों की भूमिका
बच्ची मंडल ने यह भी बताया कि नशामुक्ति केवल सरकारी प्रयासों से सफल नहीं हो सकता। आम लोग और सामाजिक संगठन भी इस लड़ाई में शामिल हों, तभी नशे के धंधेबाजों के हौसले पस्त होंगे। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे नशा और जुए से दूर रहें और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ढालें।

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