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24 साल बाद चमत्कार: प्रयागराज कुंभ मेले में लापता पिता जालंधर में मिले, पुत्र ने आंसुओं के साथ किया पुनर्मिलन

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समाचार ब्यूरो, औरंगाबाद

बिहार के औरंगाबाद जिले के भोपतपुर में एक परिवार के लिए 24 साल पुराना दर्द अब खुशी में बदल गया है। रामप्रवेश महतो, जो 2001 में प्रयागराज कुंभ मेले में लापता हो गए थे, उन्हें हाल ही में जालंधर के एक वृद्धाश्रम में जिंदा पाया गया। उनके लापता होने के समय उनके परिवार ने उन्हें मृत मानकर प्रतीकात्मक दाह संस्कार भी किया था।
रामप्रवेश महतो की तलाश में परिवार ने दो दशक तक हर संभव प्रयास किया। घर-गाँव से लेकर प्रयागराज तक के कोनों में उनके बारे में जानकारी जुटाई गई, रिश्तेदारों और स्थानीय लोगों से पूछताछ की गई, और पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2009 में उनकी पत्नी जसवा देवी का निधन हो जाने के बाद गांव के बुजुर्गों ने रामप्रवेश महतो को मृत मानकर उनकी पत्नी के साथ प्रतीक दाह संस्कार करने की सलाह दी। इसके अनुसार उनके पुत्र संतोष कुशवाहा ने पिता का सांकेतिक दाह संस्कार किया और परिवार ने दशकर्म एवं ब्रह्मभोज किया।
हाल ही में औरंगाबाद का एक ट्रक चालक जालंधर के वृद्धाश्रम पहुँचा, जहाँ महंत जिंदर मानसिंह ने उसे रामप्रवेश महतो से मिलवाया। बुजुर्ग ने मगही में अपने गांव और परिवार के बारे में बातें बताईं, जिससे यह पुष्टि हुई कि यही रामप्रवेश महतो हैं। ट्रक चालक ने वृद्धाश्रम संचालक के माध्यम से गूगल की मदद से भोपतपुर के जनप्रतिनिधियों और संतोष कुशवाहा से संपर्क कर पुनर्मिलन का मार्ग प्रशस्त किया।
23 दिसंबर को संतोष कुशवाहा को पिता की जीवित होने की खबर मिली। उन्होंने तुरंत जालंधर के लिए रवाना होकर शुक्रवार की शाम 24 साल बाद अपने पिता से पुनर्मिलन किया। भावुक संतोष ने कहा, “यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी खुशी है। मैं आभारी हूँ उन सभी लोगों का, जिन्होंने इस असंभव को संभव बनाया।”
पुनर्मिलन के बाद संतोष अपने पिता रामप्रवेश महतो को लेकर घर लौट रहे हैं। उन्हें रविवार, 28 दिसंबर को भोपतपुर पहुँचने की उम्मीद है। पूरे परिवार ने उनके स्वागत की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं और घर में खुशियों का माहौल लौट आया है।
यह घटना न केवल परिवार के लिए, बल्कि पूरे इलाके के लिए आशा और खुशी की मिसाल बन गई है। 24 साल की लंबी तलाश और प्रतीकात्मक दाह संस्कार के बाद पिता-पुत्र का पुनर्मिलन किसी चमत्कार से कम नहीं कहा जा सकता।

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