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लीची से लेकर लोड तक: मुजफ्फरपुर बनेगा बिहार के बिजली उद्योग की नई धुरी
- Reporter 12
- 21 Dec, 2025
मुजफ्फरपुर।बिहार की राजनीति में विकास का नया अध्याय लिखने की तैयारी तेज हो गई है। लीची के लिए देशभर में पहचान बना चुका मुजफ्फरपुर अब बिजली उद्योग के बड़े केंद्र के रूप में उभरने जा रहा है। राज्य सरकार ने लेदर पार्क में 108 करोड़ रुपये की लागत से एक आधुनिक औद्योगिक इकाई स्थापित करने का खाका तैयार किया है, जिसे बिजली व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
ट्रांसफार्मर उद्योग को मिलेगा स्थानीय आधार
प्रस्तावित इकाई में ट्रांसफार्मर से जुड़े जरूरी उपकरण—रेडिएटर, टैंक, कोर, वाइंडिंग, बीडर और बुशिंग—का निर्माण किया जाएगा। इसके शुरू होने से न केवल बिजली तंत्र तकनीकी रूप से सशक्त होगा, बल्कि करीब 300 युवाओं को प्रत्यक्ष रोजगार भी मिलेगा। उद्योग जगत में इसे बिजली क्षेत्र की रीढ़ मजबूत करने वाली परियोजना के रूप में देखा जा रहा है।
बाहरी निर्भरता से मिलेगी राहत
फिलहाल बिहार में ट्रांसफार्मर के कई अहम हिस्सों के लिए नोएडा, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे मरम्मत में देरी होती है और खासकर ग्रामीण इलाकों में लंबी बिजली कटौती आम समस्या बन जाती है। मुजफ्फरपुर में नई फैक्ट्री शुरू होने के बाद स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता स्थानीय स्तर पर होगी, जिससे समय और लागत—दोनों की बचत होगी।
आत्मनिर्भरता की ओर एक ठोस कदम
अब तक बिहार में ट्रांसफार्मर की असेंबलिंग तो होती रही है, लेकिन अधिकांश पुर्जे बाहर से मंगाए जाते थे। नई इकाई के चालू होने से निर्माण की पूरी श्रृंखला राज्य के भीतर मजबूत होगी। इसे आत्मनिर्भर बिहार की आर्थिक और सियासी सोच से जोड़कर देखा जा रहा है।
उद्योग मंत्री का बयान
उद्योग मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल के अनुसार, लेदर, टेक्सटाइल, ट्रांसफार्मर पार्ट्स और जूता उद्योग में स्थानीय उत्पादन बढ़ने से राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिल रही है। इस परियोजना से प्रत्यक्ष के साथ-साथ अप्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित होंगे और सरकार को राजस्व स्तर पर भी लाभ मिलेगा।
जल्द होगा जमीन आवंटन
कंपनी ने उद्योग विभाग में मंजूरी के लिए आवेदन कर दिया है। सभी आवश्यक स्वीकृतियां मिलते ही लेदर पार्क में जमीन आवंटित की जाएगी। इसके बाद मुजफ्फरपुर की पहचान सिर्फ पारंपरिक उद्योगों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह शहर बिजली, रोजगार और औद्योगिक विकास की नई सियासी पहचान गढ़ता नजर आएगा।
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