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संकल्प दिवस पर गरजे शिक्षक: समान काम–समान वेतन तक जारी रहेगा संघर्ष

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बिहार पंचायत एवं प्रारंभिक शिक्षकों ने एक बार फिर अपने अधिकारों के लिए एकजुटता का परिचय देते हुए 24 दिसंबर 2025 को संकल्प दिवस मनाया। हड़ताली मोड़ पर हुए इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन में राज्य भर से करीब 60 हजार शिक्षक-शिक्षिकाओं ने हिस्सा लिया।
महिला नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ (मूल) के जिलाध्यक्ष सहित कई शिक्षक नेताओं ने कहा कि यह दिन केवल प्रदर्शन का नहीं, बल्कि संघर्ष, कुर्बानी और आत्मसम्मान की याद का प्रतीक है। सह-प्रदेश सचिव कुमार रजनीश ने आंदोलन के दौरान हुए पुराने जख्मों को याद करते हुए कहा कि किस तरह शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने के लिए शिक्षकों पर बर्बर लाठीचार्ज किया गया था। उस दौर में कई शिक्षक गंभीर रूप से घायल हुए, किसी का हाथ टूटा तो किसी का पैर, और कई दिनों तक पीड़ा झेलनी पड़ी।
उन्होंने कहा कि 24 दिसंबर 2005 का दिन शिक्षकों के जीवन में एक कड़वी याद बनकर दर्ज है, जब उनकी गरिमा और अधिकारों पर हमला हुआ। उस आंदोलन में कई शिक्षक अपने जूते-चप्पल, शॉल तक खो बैठे, लेकिन हौसले नहीं हारे। उसी संघर्ष के परिणामस्वरूप शिक्षकों को वर्ष में 16 आकस्मिक अवकाश, महिलाओं को विशेष अवकाश, तथा कई अन्य सुविधाएं प्राप्त हो सकीं।
शिक्षक नेताओं ने स्पष्ट कहा कि अगर उस समय सभी संगठन एकजुट नहीं होते, तो आज शिक्षकों को यह अधिकार और सम्मान शायद नसीब नहीं होता। आज भी उस आंदोलन से जुड़े कई मामले अदालतों में लंबित हैं, लेकिन शिक्षकों का संकल्प कमजोर नहीं पड़ा है।
इस वर्ष के संकल्प दिवस पर शिक्षकों ने दो टूक शब्दों में कहा कि वे “समान काम के लिए समान वेतन”, पदोन्नति, पेंशन, मानदेय में बढ़ोतरी (₹1500 से सम्मानजनक वेतन), तथा सरकारी सेवकों के समान सुविधाओं की मांग को लेकर शांतिपूर्ण संघर्ष जारी रखेंगे।
प्रदर्शन में मौजूद शिक्षामित्रों ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ वेतन की नहीं, बल्कि सम्मान, सुरक्षा और भविष्य की है। शिक्षकों ने संकल्प लिया कि वे एकजुट रहकर अपने हक की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाएंगे।

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