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वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व में 15 साल में सात गुना बढ़े बाघ, संख्या 70 तक पहुंचने की उम्मीद

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बेतिया:बिहार के पश्चिम चंपारण स्थित वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व ने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। पिछले डेढ़ दशक में यहां बाघों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वर्ष 2010 में जहां केवल 8 बाघ थे, वहीं 2022 की पिछली गणना में यह आंकड़ा बढ़कर 54 तक पहुंच गया। वन विभाग का मानना है कि मौजूदा जनगणना पूरी होने के बाद बाघों की संख्या 70 के करीब पहुंच सकती है।
वाल्मीकिनगर में संरक्षण की बड़ी कामयाबी
वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, वीटीआर में बाघों की संख्या लगातार बढ़ती रही है। 2014 में यह संख्या 28, 2018 में 31 और 2022 में 54 दर्ज की गई। विशेषज्ञ इसे बिहार के एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान में अपनाई गई मजबूत संरक्षण रणनीति का नतीजा मान रहे हैं। वर्ष 1990 में देश के 18वें टाइगर रिजर्व के रूप में स्थापित वाल्मीकिनगर का कोर एरिया करीब 910 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय सीमा तक फैला बाघों का इलाका
वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व की एक खास पहचान इसकी भौगोलिक स्थिति भी है। यह नेपाल के चितवन नेशनल पार्क से लगभग 100 किलोमीटर लंबी वन सीमा साझा करता है, जबकि उत्तर प्रदेश के सोहागीबरवा वन्यजीव अभयारण्य से भी इसका प्राकृतिक जुड़ाव है। गंडक और मासन नदियां इस क्षेत्र से होकर गुजरती हैं, जिससे बाघों और अन्य वन्यजीवों को पर्याप्त जल और हरित क्षेत्र मिलता है।
पर्यावास सुधार बना सफलता की कुंजी
पश्चिम चंपारण के वन संरक्षक सह निदेशक नेशामणि के. के अनुसार, बाघों की बढ़ती संख्या के पीछे लगातार किए गए पर्यावास सुधार और सख्त संरक्षण उपाय प्रमुख कारण हैं। उन्होंने बताया कि वीटीआर में बाघों के साथ-साथ 35 से अधिक अन्य वन्यजीव प्रजातियां भी पाई जाती हैं। अभ्यारण्य की परिधि लगभग 150 किलोमीटर है, जिसके आसपास सैकड़ों गांव बसे हुए हैं, ऐसे में मानव-वन्यजीव संतुलन बनाए रखना भी विभाग की बड़ी चुनौती और प्राथमिकता है।

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