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सुधार की चोट से तिलमिलाया सिस्टम? अंचल सुधार की राह पर विजय सिन्हा

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पटना/बिहार:बिहार के लगभग हर अंचल में वर्षों से दाखिल-खारिज, परिमार्जन और भूमि संबंधी कार्यों को लेकर आम जनता शोषण और भ्रष्टाचार की शिकायत करती रही है। “काम नहीं होगा तो पैसा लगेगा”—यह वाक्य जैसे व्यवस्था का अनकहा नियम बन गया था। लेकिन ऐसे समय में उपमुख्यमंत्री सह राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने जिस तरह से मोर्चा संभाला है, उसने व्यवस्था की जड़ों को हिला कर रख दिया है।
आज स्थिति यह है कि विजय सिन्हा केवल बयान देने वाले नेता नहीं, बल्कि जमीन पर कार्रवाई करने वाले मंत्री के रूप में पहचाने जाने लगे हैं। उनके निर्देशों और सख्त फैसलों का असर अब अंचल कार्यालयों तक साफ दिखने लगा है। आम नागरिकों का कहना है कि वर्षों से जो काम महीनों और सालों में होता था, वह अब तय समय में होने लगा है।

जनता में संतोष, लेकिन व्यवस्था के भीतर बेचैनी

विजय सिन्हा की सख्ती से जहां आम नागरिक राहत महसूस कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राजस्व विभाग के एक वर्ग में असंतोष भी उभरकर सामने आ रहा है। विभागीय सूत्रों और चर्चा के अनुसार, जिन अधिकारियों-कर्मचारियों पर अवैध वसूली और अनियमितताओं के आरोप लगते रहे हैं, वे अब खुद को असहज महसूस कर रहे हैं।
इसी क्रम में बिहार राजस्व सेवा संघ/आयोग से जुड़े कुछ कर्मियों द्वारा राज्यपाल और मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग किए जाने की बात भी सामने आ रही है। जानकारों का मानना है कि यह विरोध सुधार प्रक्रिया की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है, क्योंकि जब व्यवस्था में पारदर्शिता आती है तो वर्षों से चली आ रही गलत प्रथाओं पर विराम लगता है।

स्पष्ट संदेश: दलाली और दबाव अब नहीं चलेगा

विजय सिन्हा पहले ही साफ कर चुके हैं कि किसी नेता, मंत्री या अधिकारी के नाम पर अंचल स्तर पर दबाव बनाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने भू-माफिया, दलालों और सिस्टम के भीतर बैठे भ्रष्ट तत्वों को खुली चेतावनी दी है कि अब राजस्व विभाग जनता के लिए काम करेगा, न कि कुछ लोगों की जेब भरने के लिए।

क्यों जरूरी हैं विजय सिन्हा जैसे मंत्री

राज्य के जानकारों और सामाजिक संगठनों का मानना है कि अगर आज अंचल व्यवस्था को सही दिशा में लाना है, तो विजय सिन्हा जैसे सख्त और निर्णय लेने वाले मंत्री का पद पर होना बेहद जरूरी है।
उनकी कार्यशैली यह संदेश देती है कि—कानून कागजों तक सीमित नहीं रहेगा
अंचल स्तर पर जवाबदेही तय होगी
और जमीन से जुड़े मामलों में आम आदमी को न्याय मिलेगा

जनहित में सुधार या व्यवस्था का टकराव?

आज बिहार में यह सवाल चर्चा का विषय बन चुका है—
क्या वर्षों से चली आ रही अव्यवस्था को चुनौती देना गलत है, या फिर उसी व्यवस्था से लाभ उठाने वालों का विरोध स्वाभाविक?
फिलहाल इतना तय है कि विजय कुमार सिन्हा की कार्रवाई ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में हलचल पैदा कर दी है, और यह हलचल आम जनता के हित में जाती दिखाई दे रही है।

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