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वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में सर्दी के साथ परिंदों की बहार, 20 हजार किमी दूर से पहुंचे विदेशी मेहमान
- Reporter 12
- 27 Dec, 2025
बेतिया/चंपारण।सर्दियों की शुरुआत होते ही बिहार के इकलौते टाइगर रिजर्व वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) में रौनक बढ़ गई है। हजारों किलोमीटर की लंबी उड़ान भरकर साइबेरिया समेत कई ठंडे देशों से आए प्रवासी पक्षियों ने यहां डेरा डाल लिया है। करीब 20 हजार किलोमीटर का सफर तय कर पहुंचे इन विदेशी परिंदों से गंडक नदी का इलाका और आसपास के जलाशय चहचहाहट से गूंज उठे हैं।
प्रकृति प्रेमियों के लिए सुकून, जैव विविधता को मजबूती
VTR में प्रवासी पक्षियों की मौजूदगी न सिर्फ पर्यावरण प्रेमियों और पक्षी विशेषज्ञों को आकर्षित कर रही है, बल्कि इससे इलाके की जैव विविधता भी और समृद्ध हुई है। नदी किनारे और दलदली क्षेत्रों में इन पक्षियों के झुंड प्राकृतिक सौंदर्य को नई पहचान दे रहे हैं।
पर्यटकों को मिल रहा दोहरा आनंद
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए यह मौसम खास बन गया है। जंगल सफारी के दौरान बाघ, तेंदुआ और अन्य वन्य जीवों के दीदार के साथ-साथ गंडक नदी में नौकायन के समय विदेशी पक्षियों का कलरव लोगों का मन मोह रहा है। इस साल नाइट हेरोन, अमूर फाल्कन और ब्लैक-बेलीड विसलिंग डक जैसी दुर्लभ प्रजातियों की मौजूदगी भी दर्ज की गई है।
350 से ज्यादा पक्षी प्रजातियों का सुरक्षित ठिकाना
वन विभाग के अनुसार, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व अब लगभग 350 से अधिक पक्षी प्रजातियों का सुरक्षित आश्रय बन चुका है। यह इस बात का संकेत है कि यहां का पारिस्थितिक तंत्र लगातार मजबूत हो रहा है और वन्यजीवों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हो रहा है।
सुरक्षा और जागरूकता का दिखा असर
वन संरक्षक डॉ. नेशामणी के मुताबिक, अवैध शिकार पर सख्ती, वनकर्मियों की नियमित गश्त और स्थानीय ग्रामीणों की जागरूकता का सकारात्मक असर दिख रहा है। बेहतर बारिश और सुरक्षित माहौल के कारण इस वर्ष प्रवासी पक्षियों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
अप्रैल तक रहेगा ठहराव
जानकारों के अनुसार, ये प्रवासी पक्षी आमतौर पर तीन से चार महीने तक VTR में प्रवास करते हैं और अप्रैल के आसपास अपने मूल स्थानों की ओर लौट जाते हैं। तब तक वाल्मीकि टाइगर रिजर्व विदेशी परिंदों की मौजूदगी से गुलजार रहेगा।
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